जिन्नात कौन है -
बिस्मिल्लाह रहमान निर्रहीम
क़ुरआने मजीद व अहादीसे करीमा से साबित है की जिन्न अल्लाह तआला की एक मख्लूक़ है जो अपना वजूद रखती है | जिन्नात को एक खास इल्म होता है | यह ऐसे अजीबो गरीब और मुश्किल तरीन काम करने की ताकत रखते है जिन्हे करना आम इन्सान के बस की बात नहीं |
जिन्न को जिन्न क्यों कहते है -
लुगत में जिन्न का माना है सित्र और खिफा और जिन्न को इसी लिए जिन्न कहते हे की वोह आम लोगो की निगाहों से पोशीदा होता है | जमानए जाहिलिय्यत में लोग फरिश्तों को भी जिन्न कहा करते थे क्योंकि वह उन की निगाहों से पोशीदा होते थे |
जिन्नात को इन्सान से पहले पैदा किया गया -
हजरत सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदी अल्लाह तआला अन्हो मरवी है की अल्लाह तआला ने जन्नत को जहन्नम से पहले अपनी रहमत की अश्या को अपनी गजब की चीजों से पहले आसमान को जमीन से पहले , सूरज व चाँद को सितारों से पहले , दिन को रात से पहले , दरिया को खुश्की से पहले , फरिश्तों को जिन्नो से पहले , जिन्नो को इन्सानो से पहले और नर को मादा से पहले पैदा फ़रमाया |
जिन्नात से मुख्तलिफ काम -
हजरते इब्ने जरीज रदी अल्लाह तआला अन्हो से मन्क़ूल है की जिन्नात समुन्दर से जेवरात लेने के लिए गोता लगाते और उन्होंने हजरत सुलैमान आला नबियन व अलैहि सलावातो व सलाम के लिए पानी पर महल बनाए | जब हजरते सुलैमान आला नबियन व अलैहि सलावातो व सलाम ने उन्हें हुक्म दिया की इन्हे गिरा दो मगर तुम्हारे हाथ इन्हे न छुएं | तो उन जिन्नो ने उस पर गोपिया ( रस्सी का बना हुआ आला जिस में पत्थर या मिट्टी की बानी हुई गोली रख कर मरते है ) से पत्थर फेंके यहां तक की उन्हें गिरा दिया | इस तरीके कार का फायदा इन्सानो को भी मिला | यह जिन्नो का ही काम है की हमें कोड़े देखने को मिले | जिस का किस्सा कुछ यूं है की हजरते सुलैमान आला नबियन व अलैहि सलवातो व सलाम जिन्नो को लकड़ी से मरते और उन के हाथ पाऊं तोड़ देते | जिन्नो ने अर्ज की क्या आप चाहते है की हमें सजा तो दें मगर हमारे आजा न तोड़े फ़रमाया हां तो उन्होंने आप को चाबुक के बारे में बताया | इसी तरह मल्मअ साजी भी जिन्नात का का है | उन्होंने तख्ते इब्लीस के पायों पर पानी चढ़ाया |
जिन्नात क्या खाते है -
हजरते सय्यिदुना अबू हुरैरा रदी अल्लाह तआला अन्हो रिवायत करते है की नबिय्ये करीम सलल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने मुझे हुक्म फ़रमाया की मेरे लिए पत्थर तलाश करो ताकि में उस से इस्तिन्जा करूं लेकिन हड्डी और लीद मत लाना | मेने आप की खिदमत में वह पत्थर पेश कर दिए जो मेने पल्ले बाँध रखे थे | जब आप सलल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम फारिग हो गए तो मेने अर्ज की हड्डी और लीद से मन्अ करने में क्या हिक्मत है आप सलल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया यह दोनों चीजे जिन्नात की खूराक है मेरे पास नसीबैन ( एक शहर का नाम ) के जिन्नो का एक वफ्द आया था | वह बहुत नेक जीन थे उन्होंने मुझ से खूराक मांगी तो मेने अल्लाह तआला से उन के लिए दुआ की के यह जिस हड्डी और लीद के पास जब भी गुजरें उसी पर अपनी गिजा मौजूद पाएं |
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नाम - वसीम अल्वी
मेल - meraislam765@gmail.com
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