रब को राजी करने का तरीका -
हजराते सय्यिदुना जुन्नून मिश्री अल्लाही रहमतुल्लाहील कवी फरमाते है की एक दिन में एक बाजार से गुजरा तो मेने चार आदमियों के कंधों पर एक जनाजा देखा उन के साथ और कोई न था | मेने कहा अल्लाह ताआला की कसम में इन का पांचवा रफीक बन कर जरूर अर्जो सावन हासिल करूंगा | जब वह कब्रिस्तान पहुंचे तो मेने कहा ऐ लोगो इस शख्स का वली कहा है जो की इस पर नमाजे जनाजा पढ़े | तो उन्होंने जवाब दिया ऐ मोहतरम बुजुर्ग हम में से कोई इस को नहीं जानता | फिर में आगे बड़ा और उस की नमाजे जनाजा पड़ाई | हम ने उसे लहद में उतार कर उस पर मिट्टी डाल दी जब उन्होंने लौटने का इरादा किया तो मेने कहा इस मय्यित का क्या मुआमला है तो उन्होंने बताया कि हम इस के मुतअल्लिक कुछ नही जानते हां एक औरत ने इस को यहां तक पहुंचने के लिए हमे किराए पर लिया और वो अब आने ही वाली है | इतने में वह औरत आगई जब वह रोते हुए और परेशान दिल के साथ कब्र के करीब रुकी तो अपने चेहरे से पर्दा हटाया , बाल फेलाए , अपने हाथ आसमान की तरफ बुलन्द करके गिर्या व जारी करने लगी | फिर उस ने दुआ मांगी और बेहोश हो कर जमीन पर गिर गई | कुछ देर के बाद जब होश आया तो हसने लगी | में ने उस से पूंछा मुझे अपने और इस मय्यित के मुतअल्लिक बताइए इतना शदीद रोने के बाद यह हसन कैसा तो उस ने मुझ से पूंछा आप कोन है मेने जवाब दिया जुन्नून तो वह कहने लगी अगर आप सालिहीन में से न हो तो में आपको कभी न बताती यह मेरा बेटा और मेरी आंखो की ठंडक है यह अपनी जवानी को जाएअ करता और फखिया लिबास पहना करता कोई बुराई एसी नही जिस का इस ने इर्तिकाब न किया हो और कोई गुनाह ऐसा नहीं जिसे करने की इस ने कोशिश न की हो | इस के गुनाहों को जानने वाला मौला अज्वाजल ने इसी गुनाहों की सजा यह दी की एक दिन इसे शदीद दर्द हुवा जो तीन दिन रहा जब इस को अपनी मौत का यकीन हो गया तो कहने लगा ऐ मेरी मां में तुझे अल्लाह तआला का वास्ता देता हूं मेरी वसिय्यत कबूल करना जब में मर जाऊ तो मेरी मौत की खबर मेरे दोस्तों , भाइयों , घरवालों और पड़ोसियों में से किसी को न देना क्योंकि वह मेरे बुरे अफ्आल गुनाहों की कशरत और जहालत की वजह से मुझ पर रहम नहीं करेगा |
नाम - वसीम अल्वी
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